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मूड स्विंग्स, एंग्जायटी और डिप्रेशन
शुरुआती प्रेग्नेंसी का इमोशनल टर्नाडो
तो आप प्रेग्नेंट हैं… या आपको लग रहा है कि आप हैं। और अचानक, हर चीज़ एक इमोशनल रोलरकोस्टर जैसी लगने लगती है! एक पल आप किसी मज़ाक पर हंस रही हैं और अगले ही पल रो रही हैं क्योंकि आपके फेवरेट सॉक्स नहीं मिल रहे। ये क्या हो रहा है? क्या ये नॉर्मल है? छोटा सा जवाब: हां!
Mood swings, anxiety, और depression, ये तीनों शुरुआत में अचानक आ सकते हैं। ये सब थोड़ा बहुत झटका देने वाला हो सकता है, लेकिन जब आप समझ जाएंगी कि ये क्यों होता है और इससे कैसे डील करना है, तो चीज़ें आसान लगने लगेंगी।
ओह और हाँ, अगर आप signs of pregnancy after sex या symptoms after sex for pregnancy गूगल कर रही हैं, तो आप अकेली नहीं हैं। ये सब भी प्रेग्नेंट होने के लक्षण यानी pregnancy ke lakshan का हिस्सा हैं। और ये इमोशनल रोलरकोस्टर, बस एक पहलू है।
मूड स्विंग्स:
कहाँ से शुरू करें? शुरुआती प्रेग्नेंसी के mood swings किसी इमोशनल झटके से कम नहीं होते। एक पल सब कुछ ठीक है, और अगले ही पल? आप आइसक्रीम खत्म हो जाने पर रोने लगती हैं। वेलकम टू हार्मोनल केयॉस!
प्रेग्नेंसी में प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन का लेवल ऊपर-नीचे होता है, और ये आपके मूड को हिला देता है। ब्रेन के केमिकल्स – जिन्हें न्यूरोट्रांसमीटर्स कहते हैं – भी थोड़ा बिगड़ जाते हैं, जिससे आप ज्यादा सेंसेटिव, मूडी या कभी-कभी पागल सी फील कर सकती हैं।
टिप: इस क्रेज़ी राइड को अपनाएं! ये सब इस जर्नी का हिस्सा है। अपनी फीलिंग्स को एक्सेप्ट करें और याद रखें, जैसे-जैसे प्रेग्नेंसी आगे बढ़ेगी, ये लेवल आउट हो जाएंगे। और हां, खुद से बहुत ज्यादा उम्मीदें न रखें—आप शानदार कर रही हैं!
एंग्जायटी (Anxiety):
प्रेग्नेंसी में एंग्जायटी उस अनचाहे मेहमान की तरह होती है जो आकर बैठ जाता है और जाने का नाम नहीं लेता। आप बेबी की हेल्थ, मिसकैरेज का डर, या पेरेंट बनने की तैयारी को लेकर हर वक्त चिंता में डूबी रह सकती हैं। और फिर शुरू होता है – “क्या ये नॉर्मल है?” गूगल करना हर घंटे।
शुरुआती प्रेग्नेंसी में anxious feel करना बिल्कुल नॉर्मल है। बड़ी लाइफ चेंज है ये, और अननोन चीज़ें डरावनी हो सकती हैं। लेकिन जरूरी है ये समझना कि भले ही चिंता नॉर्मल हो, इसे खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए।
टिप: उसी चीज़ पर फोकस करें जो आपके कंट्रोल में है। ज्यादातर चिंता प्रेग्नेंसी के शुरू में होती है और बाद में धीरे-धीरे कम हो जाती है। अगर चीज़ें ज्यादा लगने लगें, तो अपने पार्टनर से बात करें या किसी हेल्थकेयर प्रोफेशनल से सपोर्ट लें।
डिप्रेशन: जब उदासी जाती ही नहीं
शुरुआती प्रेग्नेंसी में डिप्रेशन एक ऐसी चीज़ है जिस पर ज्यादा बात नहीं होती। ये सिर्फ थोड़ी उदासी नहीं होती—ये एक गहरी, रुकने ना वाली उदासी होती है। आपको अपनी फेवरेट चीज़ों में भी मज़ा नहीं आता, हर वक्त थकावट रहती है, और नींद या भूख का पैटर्न बदल जाता है।
हाँ, सबकुछ कन्फ्यूजिंग है। खासकर जब आप सोचती हैं कि “मुझे तो खुश होना चाहिए था!” लेकिन आप अकेली नहीं हैं। हार्मोनल बदलाव, मिक्स्ड फीलिंग्स, और फ्यूचर को लेकर चिंता, सब मिलकर ये फीलिंग्स लाते हैं।
टिप: अगर ये उदासी हफ्तों तक बनी रहती है या बहुत ज्यादा हो जाती है, तो डॉक्टर से बात करें। वो आपको हेल्प करने के लिए हैं।

इमोशनल रोलरकोस्टर से कैसे निपटें?
- हर एक दिन नया: हर दिन अलग होता है। कुछ अच्छे होंगे, कुछ नहीं। बस धीरे-धीरे आगे बढ़ें।
- बात करें: पार्टनर, फ्रेंड्स या फैमिली से बात करें। बात करने से बोझ हल्का होता है।
- सेल्फ-केयर: खुद के लिए कुछ अच्छा करें—जैसे एक नैप लेना, किताब पढ़ना या बस चिल करना।
- रिलैक्सेशन प्रैक्टिस करें: डीप ब्रीदिंग, मेडिटेशन या प्रीनेटल योगा आपके काम आ सकते हैं।
- मदद मांगें: अगर आपको लगे कि मूड स्विंग्स, एंग्जायटी या डिप्रेशन कंट्रोल से बाहर हो रहे हैं, तो एक्सपर्ट से बात करने में हिचकिचाएं नहीं।
कब मदद लेनी चाहिए?
Shuruaati pregnancy mein feelings par dhyaan dena bahut zaroori hai. Mood swings normal hain, lekin agar anxiety aur depression bahut zyada ho jaayein, toh woh serious ho sakte hain.
Tip: Jitni jaldi madad logi, utna accha – pregnancy aur aapki mental health dono ke liye. Madad maangna kamzori nahi, samajdaari hai!
FAQs About Mood swings
बिलकुल! एक पल ठीक हैं, दूसरे पल डॉग वीडियो देखकर रो रही हैं। हार्मोन वाइल्ड हो रहे हैं—बस बहने दीजिए।
हर छोटी बात बहुत बड़ी लगती है। ये ड्रामा नहीं, हार्मोनल हाई वॉल्यूम है।
ओह हाँ, वेलकम टू “what-if” वर्ल्ड। सब ठीक होते हुए भी दिमाग ओवरथिंक करेगा। गहरी सांस लें!
बिलकुल नहीं। खुशी और ओवरवेल्म होना एक साथ हो सकता है। ये आपको इंसान बनाता है, गलती नहीं।
100% नॉर्मल। प्रेग्नेंसी में इमोशंस रोलरकोस्टर बन जाते हैं। सीट बेल्ट बाँधिए!
जी हां। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन आपको इमोशनली शेक कर रहे हैं जैसे कोई स्नो ग्लोब हो।
अगर दो हफ्तों से ज्यादा हो जाए और रोज़मर्रा की लाइफ पर असर डाल रही हो, तो डॉक्टर से बात करें।
पूरी तरह नहीं, लेकिन मैनेज ज़रूर कर सकते हैं। जैसे ग्राउंडिंग एक्सरसाइज, बात करना या जर्नलिंग।
100%! कम नींद = चिड़चिड़ापन और ज्यादा इमोशनल। नैप्स = जादू।
बिलकुल! हेल्प मांगना वीकनेस नहीं, समझदारी है।
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