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A quick look at heartburn, bloating, and constipation—affecting 60-70% of people. Thanks to our oh-so-modern lifestyles and especially common during pregnancy. These symptoms typically last hours to days but can improve within a week with a little Tender Loving Care (TLC) and the right pregnancy-friendly steps.
Key management strategies for pregnancy? Think smaller meals, identifying trigger foods, staying hydrated, not flopping on the couch right after meals, and yep—stress management (ahh, the usual suspects of pregnancy life).
Usually not dangerous, but hey—if symptoms get wild or bring along warning signs like unexplained weight loss or blood in your stool during pregnancy, don’t play guessing games. Get checked. With a few simple changes, you can seriously chill those disruptive digestive symptoms—especially if you’re experiencing them as signs of pregnancy after sex or as part of the common symptoms of sex for pregnancy.

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हार्टबर्न, ब्लोटिंग और कब्ज़

डाइजेस्टिव दिक्कतें जैसे हार्टबर्न, ब्लोटिंग और कब्ज़? जी हाँ, ये जितनी कॉमन लगती हैं, उससे कहीं ज़्यादा हैं। खासकर प्रेग्नेंसी में तो ऐसा लगता है जैसे पेट ने विद्रोह कर दिया हो।

ये लक्षण सुनने में छोटे लगते हैं, लेकिन जब ये एक साथ आते हैं, तो डेली लाइफ की हालत खराब कर देते हैं।
तो आइए समझते हैं ये क्यों होते हैं, इनसे निपटने के आसान तरीके क्या हैं, और आखिर में कुछ FAQs भी हैं।

कई बार ब्लोटिंग, मिचलाना या कब्ज़ जैसी चीज़ें प्रेग्नेंसी की शुरुआत में दिखने वाले प्रेग्नेंट होने के लक्षण या pregnancy ke lakshan हो सकते हैं। तो अगर हाल ही में आपने कोई “स्पेशल मोमेंट” एन्जॉय किया है और अब शरीर कुछ अलग महसूस करवा रहा है—तो ये आपका वहम नहीं है। ये pregnancy ke lakshan हो सकते हैं।

1) ये प्रॉब्लम्स होती क्यों हैं?

तनाव, फ़ास्ट फ़ूड, अनियमित टाइम पे खाना खाना, लंबे समय तक एक जगह बैठे रहना और कम चलना फिरना – ये सब तो हमेशा के कारन है ही लेकिन प्रेग्नेंसी में और कई फैक्टर्स जुड़ जाते है जिनसे साजिश और कई गहरी हो जाती है

  • प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोन जैसे प्रोजेस्ट्रोन पाचन को धीमा कर देते हैं, जिससे गैस और कब्ज़ होती है।
  • ईस्ट्रोजन पित्त और गॉलब्लैडर के काम को डिस्टर्ब करता है।
  • बढ़ता हुआ गर्भाशय पेट और आंतों पर दबाव डालता है।
  • स्ट्रेस , गर्भावस्था के दौरान खाने की कुछ चीजों प्रति संवेदनशीलता और जंक फूड इन लक्षणों को और बढ़ा देते हैं।
  • लेकिन अच्छी खबर यह है कि कुछ छोटे-मोटे बदलाव आपके गर्भावस्था के पाचन तंत्र को पूरी तरह से पटरी पर लाने में मदद कर सकते हैं। और अगर आप सोच रहे हैं कि जो आप महसूस कर रहे हैं, वह सेक्स के बाद गर्भावस्था sex ke baad garbhaavastha

के संकेत हो सकते हैं, तो आप अकेले नहीं हैं। कभी-कभी ये सारे लक्षण pregnancy ke lakshan या प्रेग्नेंट होने के लक्षण भी बन सकते हैं, इसलिए इन पर ध्यान देना ज़रूरी है।

2) ये लक्षण कितने समय तक रहते हैं?

  • हार्टबर्न: खाना खाने के बाद तुरंत शुरू हो सकता है, और कुछ घंटों तक रहता है।
  • ब्लोटिंग: ये फीलिंग कई घंटों से लेकर 2-3 दिन तक रह सकती है।
  • कब्ज़: अगर सही समय पर ध्यान न दिया जाए तो 3-4 दिन तक बनी रह सकती है।
  • गर्भावस्था के दौरान, हार्मोन, विटामिन और आपके बढ़ते पेट के कारण शारीरिक दबाव के कारण आपकी आंत धीमी हो जाती है। कुछ आयरन युक्त प्रसवपूर्व विटामिन भी कब्ज को बढ़ाने के लिए कुख्यात हैं।

लेकिन हे, गर्भावस्था के अनुकूल सही देखभाल के साथ, ज़्यादातर लोग एक हफ़्ते में बेहतर महसूस करते हैं। कुछ लोगों को थोड़ा ज़्यादा समय लगता है, और यह पूरी तरह से सामान्य है। आपकी गर्भावस्था के पेट का अपना मूड होता है, ठीक है? और कभी-कभी, ये असुविधाएँ वास्तव में गर्भावस्था के लिए सेक्स के बाद के लक्षण होते हैं, न कि सिर्फ़ आपके सामान्य भोजन से संबंधित नाटक। ये सब लक्षण कभी-कभी प्रेग्नेंट होने के लक्षण या pregnancy ke lakshan भी हो सकते हैं, तो हल्के में ना लें।

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3) कौन-कौन से लक्षण दिख सकते हैं?

आइए गर्भावस्था में पाचन से जुड़े जो लक्षण अनुभव हो सकते हैं उनके बारे में बात करते हैं। आपको इनमें से कुछ या सभी लक्षण हो सकते हैं, इसलिए सतर्क रहें:

  • सीने या गले में जलन
  • पेट फूला हुआ महसूस होना
  • कब्ज़ और भारीपन
  • खट्टी डकार या खाना वापस मुंह में आना
  • मनपसंद खाना भी तकलीफ देने लगे
  • भूख न लगना
  • मिचलाना
  • पेट दर्द, गैस, थकान
  • सांसों की बदबू और नींद में दिक्कत

अगर आप ये लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो हो सकता है ये pregnancy ke lakshan हों या प्रेग्नेंट होने के लक्षण भी।

4) इनसे कैसे राहत पाएं?

  • छोटे-छोटे मील्स खाएं
  • फूड डायरी बनाएं ताकि समझ सकें कौन सा खाना सूट नहीं कर रहा
  • खाने के बाद तुरंत न लेटें
  • मसालेदार और ऑयली खाना कम करें
  • खूब पानी पिएं
  • पुदीना या अदरक वाली हर्बल चाय पी सकते हैं
  • खाने में धीरे धीरे फाइबरयुक्त पदार्थ शामिल करे – जल्दबाजी करनेसे ब्लोटिंग की समस्या बढ़ सकती है
  • थोड़ी-बहुत हल्की एक्सरसाइज करें
  • डॉक्टर से पूछकर स्टूल सॉफ्टनर लें

ये टिप्स खासकर उन महिलाओं के लिए हैं जो pregnancy ke lakshan या प्रेग्नेंट होने के लक्षण झेल रही हैं।

गर्भावस्था संबंधी सुझाव: आयरन सप्लीमेंट से कब्ज हो सकता है, लेकिन कुछ संस्करणों में स्टूल सॉफ़्नर भी शामिल होते हैं। अपने डॉक्टर से जाँच करवाएँ!

5) कब डॉक्टर को दिखाना चाहिए?

  • लक्षण बहुत ज़्यादा बढ़ जाएं या लंबे समय तक रहें
  • अचानक वजन कम होना
  • पॉटी में ब्लड आना
  • खाना निगलने में दिक्कत
  • सीने में तेज़ जलन या दर्द
  • पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द

अगर दो हफ्तों तक ये लक्षण सही ना हों, तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं। अगर कुछ गलत लगे तो उसे बर्दाश्त न करें। तुरंत डॉक्टर की सलाह ले I और हां—इनमें से कई चीज़ें pregnancy ke lakshan या प्रेग्नेंट होने के लक्षण भी हो सकती हैं, इसलिए अंदाज़ा न लगाएं, जांच कराएं। 

FAQ: प्रेग्नेंसी में हार्टबर्न, ब्लोटिंग और कब्ज़

क्या ये लक्षण प्रेग्नेंसी में खतरनाक होते हैं?

अकसर नहीं—but अगर इन्हें नज़रअंदाज़ किया जाए तो प्रॉब्लम बढ़ सकती है। खासकर जब ये प्रेग्नेंट होने के लक्षण या pregnancy ke lakshan बन जाएं।

क्या डाइट से फर्क पड़ता है?

बिलकुल। डाइट ही सबसे बड़ा इलाज है। प्रेग्नेंसी के दौरान खाना आपकी सबसे बड़ी ताक़त बन सकता है—या सबसे बड़ा दुश्मन।

लाइफस्टाइल में बदलाव करने के बाद कब राहत मिलेगी?

कुछ लोगों को कुछ ही दिनों में आराम मिल जाता है, और कुछ को हफ्ता लग सकता है। हर शरीर अलग होता है।

क्या एक साथ तीनों लक्षण होना खतरनाक है?

जरूरी नहीं, लेकिन अगर बहुत ज़्यादा हो रहे हैं तो डॉक्टर से बात करना सही रहेगा।

ये सब क्यों होता है?

हार्मोन, बढ़ता बच्चा, आयरन सप्लीमेंट्स, शरीर की कम हलचल और स्ट्रेस। प्रेग्नेंसी का पूरा पैकेज।

ये लक्षण कितने दिन तक रहते हैं?

आमतौर पर कुछ घंटों से लेकर 2-3 दिन। अगर उससे ज़्यादा हो तो ध्यान देना चाहिए।

कब्ज़ और ब्लोटिंग से कैसे निपटें?

पानी पिएं, सही खाना खाएं, भारी, चिकने भोजन से दूर रहें, हल्की चाल-डोल करें और फाइबर लें। स्टूल  सॉफ़्नर भी मदद करते हैं I

कब डॉक्टर से मिलना चाहिए?

अगर कोई रेड फ्लैग दिखे—जैसे स्टूल में ब्लड आना, दर्द, वजन कम होना या लग रहा हो कि ये pregnancy ke lakshan या प्रेग्नेंट होने के लक्षण हैं—तो देरी न करें।

क्या स्ट्रेस इन दिक्कतों को बढ़ा सकता है?

हाँ, स्ट्रेस और पेट की प्रॉब्लम्स की दोस्ती बहुत पुरानी है। ध्यान, ब्रेथिंग एक्सरसाइज और थोड़ी सी पॉजिटिविटी काफी मदद कर सकती है।

Explainer:

What are the symptoms of the third trimester?

During the third trimester (28 weeks to birth), you may face fatigue, breathlessness, back pain, and emotional changes as your body prepares for delivery. Read more details

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Author

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