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Swollen feet and back pain? Yep, they’re both very real parts of the pregnancy package deal. While it may feel overwhelming, the good news is you’re not alone—and there are plenty of simple, comforting ways to manage both. From propping up your feet and staying hydrated to gentle exercises and good posture, little changes go a long way.

Your body is doing some amazing work growing a tiny human, and though the aches and puffiness can be annoying (ugh, we feel you!), they’re part of the beautiful journey to motherhood. If either the swelling or pain becomes too intense, don’t wait—call your doctor.

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प्रेग्नेंसी में सूजे हुए पैर और पीठ दर्द

तो अब आप प्रेग्नेंट हैं, और अचानक ऐसा लग रहा है जैसे आपकी पीठ और पैर मिलकर कोई प्रोटेस्ट कर रहे हों। एक तरफ पीठ दर्द से तंग कर रही है, दूसरी तरफ पैर ऐसे सूज रहे हैं जैसे छुट्टियों पर हों।

Oh haan, sooje hue pair aur peeth dard – yeh woh mehmaan hain jo bina bulaye aa jaate hain jab aap pregnancy party mein hoti ho. Chahe woh tez jhatka ho jo aapki reedh mein mehsoos hota hai, ya ankles ki sujan – yeh sab kuch thoda bahut nahi, kaafi zyada hai.

Normal hai? Bilkul. Lekin aaraamdayak? Bilkul nahi.

Toh chaliye jaante hain ki yeh sab kyun ho raha hai, aur (sabse zaroori baat) isse kaise deal karein – woh bhi poore swag ke saath!

Swollen Feet: वो प्यारा-सा सरप्राइज़ जो पफी आया

सबसे पहले बात करें पैरों की – बिलकुल, ज़मीन से शुरू करते हैं। सुना तो होगा कि प्रेगनेंसी में पैर सूजते हैं, लेकिन जब जूते आना बंद हो जाएँ, तब असलियत सामने आती है।

दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर में ये सूजन आम बात है – इसकी वजह है हॉर्मोनल बदलाव, बढ़ा हुआ ब्लड वॉल्यूम और बेबी का आपकी नसों पर प्रेशर डालना।

क्यों होता है ऐसा?

  • बढ़ा हुआ Blood Volume: आपका शरीर अब ज्यादा ब्लड पंप कर रहा है, जिससे कुछ फ्लूइड पैरों में जमा हो जाता है।
  • Veins पर प्रेशर: बढ़ता हुआ यूट्रस पैरों की नसों पर दबाव डालता है जिससे ब्लड का सर्कुलेशन धीमा हो जाता है और सूजन आ जाती है।
  • Hormonal Changes: प्रोजेस्टेरोन नाम का हॉर्मोन नसों को रिलैक्स करता है, लेकिन इससे फ्लूइड टिशूज़ में चला जाता है – और हो गया पैर सूजा हुआ!

Back Pain: वो दर्द जो कभी सोचा नहीं था

अब बात करें आपकी पीठ की। करीब 18वें हफ्ते के आस-पास बहुत सारी महिलाएं नोटिस करती हैं कि वो हल्का दर्द अब रोज़ का हिस्सा बन गया है।

शरीर की पोजिशन का बदलना, हॉर्मोनल बदलाव और स्ट्रेस – इन सबका कॉम्बो आपकी पीठ को परेशान करता है।

क्यों होता है ऐसा?

  • Relaxin हॉर्मोन: ये हॉर्मोन डिलीवरी के लिए पेल्विस को तैयार करता है, लेकिन साथ में बाकी जॉइंट्स को भी ढीला कर देता है – जिससे आपकी रीढ़ की हड्डी कम सपोर्टेड महसूस करने लगती है।
  • Postural Changes: जैसे-जैसे बेबी बंप बढ़ता है, बॉडी का ग्रैविटी सेंटर बदलता है। नतीजा – कमर में ज्यादा खिंचाव और दर्द।
  • Mental Stress: जब मन में स्ट्रेस होता है, तो मसल्स भी टाइट हो जाती हैं – खासकर पीठ की। और अगर आप पहले से ही इमोशनल रोलरकोस्टर पर हैं, तो दर्द ज़्यादा फील हो सकता है।

Isi dauraan bahut si mahilayein sochti hain ki yeh sab *प्रेग्नेंट होने के लक्षण* hain. Thakaan, michlaahat, halka peeth dard – yeh sab kuch-kuch *pregnancy ke lakshan* ho sakte hain. 

Yahin se search shuru hoti hai – “signs of pregnancy after sex” ya “symptoms after sex for pregnancy.”

back pain in early pregnancy

कैसे डील करें इस सूजन और दर्द से:

  1. पैर ऊपर रखें: जब भी मौका मिले, पैरों को दिल की ऊंचाई से ऊपर रखें। सूजन कम करने में मदद मिलती है।
  2. हल्की मूवमेंट करें: प्रेनेटल योगा, स्ट्रेचिंग या छोटी-छोटी वॉक्स – ये सब ब्लड फ्लो को बेहतर बनाते हैं और बैक टेंशन भी कम करते हैं।
  3. पानी ज़रूर पिएं: दिन में कम से कम 8-10 ग्लास पानी पिएं। इससे सूजन और मसल टेंशन दोनों में राहत मिलती है।
  4. कंफर्टेबल शूज़ पहनें: टाइट जूतों को अलविदा कहें। कुशनिंग वाले फ्लैट्स या स्नीकर्स बेस्ट हैं।
  5. अच्छा पॉस्चर रखें: झुकना अवॉइड करें। सीधे बैठें, कंधे पीछे रखें और बैक को सपोर्ट दें।
  6. गर्म या ठंडा सेंक: पीठ पर गर्म पानी की बोतल या पैरों पर ठंडी पट्टी – झटपट राहत मिलती है।
  7. प्रीनेटल  मसाज: सर्टिफाइड थैरेपिस्ट से मसाज लें। बहुत सुकून देती है और सूजन-दर्द दोनों कम करती है।
  8. नमक कम, पोटैशियम ज़्यादा: ज़्यादा नमक पानी को रोकता है। केले, एवोकाडो, स्वीट पोटैटो जैसी चीजें खाएं जिनमें पोटैशियम हो।

डॉक्टर को कब कॉल करें:

  • अचानक सूजन आ जाए, खासकर एक पैर में, या चेहरे और हाथों में भी हो।
  • पीठ दर्द तेज़ हो, लगातार बना रहे या झुनझुनी/सुन्नपन के साथ हो।
  • चलने में परेशानी हो या चक्कर आने लगें।
  • आराम करने या उपायों के बाद भी राहत न मिले।
  • सूजन के साथ सिरदर्द या विज़न चेंज हो – प्री-एक्लेम्पसिया हो सकता है।

FAQs – पूछे जाने वाले सवाल:

क्या प्रेगनेंसी में पैर सूजना और पीठ दर्द नॉर्मल है?

हाँ, बिल्कुल! ये सब बॉडी के मेगा ट्रांसफॉर्मेशन का हिस्सा है।

कब सूजन को लेकर टेंशन लेनी चाहिए?

अगर सूजन अचानक हो, एक तरफ़ हो या आराम के बाद भी ना जाए – डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं।

क्या सेक्स के बाद दिखने वाले लक्षण प्रेगनेंसी के संकेत हो सकते हैं?

हाँ! हल्के दर्द, थकान, पीठ में दर्द – ये प्रेग्नेंट होने के लक्षण या pregnancy ke lakshan हो सकते हैं।

क्या पॉस्चर इतनी बड़ी बात है?

जी हाँ! अच्छा पॉस्चर पीठ के दर्द को काफी हद तक कम कर सकता है।

क्या प्रेगनेंसी में मसाज लेना सेफ है?

अगर सर्टिफाइड प्रीनेटल मसाज थैरेपिस्ट से कराएं तो बिल्कुल सेफ और रिलीविंग है।

डिलीवरी के बाद दर्द और सूजन चली जाएगी?

अक्सर हाँ। कुछ हफ्तों में जब हॉर्मोन्स बैलेंस होते हैं और एक्स्ट्रा फ्लूइड बाहर निकलता है, तो आराम मिल जाता है।

Explainer:

What are the symptoms of the third trimester?

During the third trimester (28 weeks to birth), you may face fatigue, breathlessness, back pain, and emotional changes as your body prepares for delivery. Read more details

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അപായ സൂചനകൾ

ഇവിടെ ഞങ്ങൾ നിങ്ങളെ സാധ്യമായ ലക്ഷണങ്ങളെ കുറിച്ച് ബോധവാന്മാരാക്കും, അതിനാൽ നിങ്ങൾ അവ ഗൗരവമായി എടുക്കും. തുലനം ചെയ്യാൻ കഴിയാത്ത നിങ്ങളുടെ മെഡിക്കൽ ആവശ്യങ്ങൾക്കായി, കാലതാമസം കൂടാതെ എപ്പോഴും ഒരു ആരോഗ്യ വിദഗ്ദ്ധനെ സമീപിക്കുക.

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